Dushyant Pratap Singh

#MyUnforgettableJourney (Post 27) 2003 आगरा के एक बेहद सीधे व विनम्र शख्स मुम्बई में सहायक निर्देशक थे शरण चौहान अचानक भाई साहब को निर्देशक बनने का शौक चढ़ा और उन्हें राजस्थान से निर्माता भी मिल गए पर उनके साथ वही हुआ जो बिना संगठन और योजना के सबके साथ होता है कई बेवकूफों को लेकर उन्होंने बिना पैसों के प्रबंध के शूटिंग आगरा में शुरू कर दी खुद तो डूबे ही निर्माता श्री दुबे जी के पैसों के साथ तब की प्रसिद्ध शख्सियत व अभिनेत्री नफीसा अली के साथ साथ उनकी पुत्री अरमाना सोढ़ी का कैरियर भी शुरू होने से पहले ही डूबा दिया। हालात ये हुए के फ़िल्म बीच मे बंद हो गयी और पूरी यूनिट का मुम्बई वापस जाना तो दूर खाने तक के पैसे नही थे। इसमें कोई घमंड नहीं के निर्देशक की एकमात्र उपलब्धि ये रही के में स्थानीय तौर पर में व एक बेहद शानदार व दयालु शख्सियत (नाम नही लिख सकता) उनके साथ थे जिसकी वजह से उनकी कुछ शूटिंग हो पाई और यूनिट वापस जा पाई। महाशय बर्बाद हो गए अभी उनसे कोई संवाद नहीं। पर शरण चौहान एक अच्छे शख्स थे बतौर निर्देशक जितनी मेरी आज समझ है वो निहायत बेवकूफ थे। करीब 2 महीने इस फ़िल्म के चक्कर मे बर्बाद हुए। और नतीजा शून्य था।।

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