Dushyant Pratap Singh

#MyUnforgettablaJourney 2003 (Post 24) एक अंतहीन सिलसिला शुरू हो चुका था अभिनेता रवि बहल के साथ एक अच्छा तारतम्य स्थापित हो गया था। लेकिन नृत्य मेरा न तो विषय था न ही मुझे आता था। पर में एक नई विधा से परिचित हो रहा था। जाने या अनजाने एक ऐसे सिस्टम में प्रवेश कर रहा था जो न मेरे लायक था और न उससे मुझे कुछ अच्छे भविष्य की उम्मीद थी। जैसा के छोटे शहरों में नाचने वाले कलाकारों की आदत होती है बेहद छोटी और गिरी सोच के लोग व परिवार मेरे इर्द गिर्द इकठ्ठे हो रहे थे 🤦 मुंह मे राम बगल में छुरी ।।। मुझे इन सबके चक्कर मे प्रायोजकों से मिलने का मौका ही नही मिल रहा था। हर कार्यक्रम व नृत्य शिविर में भारी भीड़ होती थी पर अंत मे कमाई के नाम पर शून्य 🤷 लेकिन क्योंके ये सब निरंतर था इसलिए सब ठीक चल रहा था। आगरा से बाहर के शहरों में मेर पदार्पण शुरू हो गया था। और जैसा कि उम्मीद थी हर जगह बेहद शानदार रिजल्ट आ रहे थे और मेरी ये चक्रवर्ती नृत्य अभियान की यात्रा जारी थी 🏃🏃🏃

Comments

Popular posts from this blog

सात्यकि

सात्यकि